हिंदी कहानी (moral stories in hindi) | Kahani : एक घना जंगल था ,जंगल में एक बन्दर रहता था और वह बहुत ही आलसी था। कभी भी भोजन की तलाश में नहीं जाता था.एक दिन हाथी केला खा रहा था तो बन्दर हाथी के पास जाता है और उससे केला छीन कर खा लेता है। जिसपर गुस्सा होकर हाथी बन्दर से कहता है। तुझे शर्म नहीं आती मेरा भोजन छीन कर खाने के लिए एक तो भोजन नहीं ढूंढते हो और मेरा भोजन छीनते हो। ये कहकर हाथी बन्दर पर गुस्सा होता है ,जिसपर बन्दर जवाब देता है – अरे दोस्त ,क्यों इतना गुस्सा हो रहे हो ? आगे से तुम्हारा भोजन मैं नहीं छिनुगा। ये कहकर बन्दर वहां से चला जाता है। बन्दर को रास्ते में एक खरगोश मिलता है। खरगोश गाजर खा रहा था। बन्दर गाजर को देखता है और खरगोश से छीन लेता है। तुम इतने बेशर्म जानवर हो बिलकुल शर्म नहीं आती मैं कितनी मुश्किल से एक गाजर लेकर आया था और तुमने इसे छीन लिया। खुद तो अपना खाना लाते नहीं हो और दुसरो का खाना छीनते रहते हो। ये बात बन्दर सुनकर वहां से चला गया।
अगले दिन शेर कुछ फल छुपा कर रख रहा था जिसे बन्दर देख लेता है और वहां जाकर फल चुरा लेता है। ये बात जानकर शेर को बहुत गुस्सा आता है। तुम्हारी इतनी हिम्मत तुमने मेरे फल चुराए। मेरा भोजन खा लिया। तुम इस जंगल के जानवर हो इसलिए छोड़ रहा हूँ अगली बार इस तरफ दिखाई दिए तो तुम्हारी खैर नहीं। शेर की ये बात सुनकर बन्दर उदास हो गया। और ओ वहां से निकल जाता है।
रास्ते में बन्दर को एक आम का पेड़ मिलता है आम के पेड़ को देखकर बन्दर मन ही मन सोचता है। अरे वह इतना बड़ा आम का पेड़ अगर मैं इन आमों को तोड़ लूँ तो बहुत दिनों तक मुझे भोजन ढूंढने की जरुरत नहीं पड़ेगी। और इसकी वजह से मैं किसी का भोजन नहीं चुराऊँगा और मुझे किसी की डांट भी नहीं खानी पड़ेगी। ये सोचकर बन्दर कुल्हाड़ी लेकर आम के पेड़ पर चढ़ जाता है और एक डाली पर बैठकर जिस डाली पर बैठा था उसी डाली को काटने लगता है।
इतने में उधर से एक खरगोश आता है और ओ बन्दर को देखकर कहता है। अरे दोस्त ये तुम क्या कर रहे हो जिस डाली पर बैठे हो उसी को काट रहे हो। बन्दर उसकी बात नहीं सुनता है और उससे कहता है तुम इतने जरा से हो और मुझे सीखा रहे हो चलो जाओ यहाँ से।
तभी वहां हाथी आता है अरे दोस्त ये क्या बेवकूफी कर रहे हो। ऐसे तो तुम गिर जाओगे। मेरा भोजन है खुद ढूंढ रहा हूँ इससे तुमलोगो को क्या मतलब मैं किसी की बात नहीं सुनने वाला। थोड़ी देर में शेर भी वहां आता है बन्दर को समझाने की कोशिश करता है लेकिन तब तक डाली कट चुकी होती है और बन्दर धड़ाम से निचे गिरता है। तभी शेर बन्दर को देखकर कहता है। देखा बेवकूफ हम तुम्हें समझा रहे थे ,लेकिन तुमने हमारी बात नहीं मानी इसलिए तुम गिर पड़े। भोजन मेहनत से मिलता है बेवकूफ हरकतों से नहीं।उस दिन से बन्दर को अपनी गलती का अहसास हुआ और अपनी भोजन के लिए खुद मेहनत करना शुरू किया।
सिख –
किसी बेवकूफ को समझाना ,
दिवार पर सर मारने जैसा होता है।