हिंदी कहानी (moral stories in hindi) : किसी गांव में सरदार नाम का एक पहलवान हुआ करता था। उसे आम रेसलिंग में कोई नहीं हरा सकते थे सामने बैठने वाले का हाथ चाहे जितना भी मजबूत क्यों न हो ये श्रीमान तो उसे चुटकियों में हरा देते थे। हरने वाले लोग शर्त के अनुसार पैसे देकर नमस्कार करके चले जाते थे। उसी काम में शिवम् नाम का एक लड़का था। वह बहुत भोला था अपने माता पिता के साथ गोलगप्पे बेचने में हाथ बटाता था। एक दिन वह प्लेट धोते धोते अपने पिता से कहता है पिता जी पिता जी मुझे एक सुझाव आया है। हम प्लेट में करके गोलगप्पे देते हैं तब तो प्लेट धोना पड़ता है का खर्चा आता है जो अलग। क्यों न हम अब गोलगप्पे सीधे कस्टमर के मुंह में ही दाल दें। इसपर उसकी माँ कहती है ,तेरा सर तेरी होसियारी पे तो मुझे रोना आ जायेगा गधे , ओ जी इसे अकल कब आएगी इसकी शादी कैसे करवाएंगे।
एक दिन वह सामान खरीदने के लिए बाजार जाता है। तो वहां लोगो को ग्रुप में इकठ्ठा देख शिवम् भी वहां जाता है। उसने देखा की सरदार आम रेसलिंग में किसी की हाथ को मोड़ दिया था और वह शर्त के अनुसार पैसे देकर हाथ जोड़ कर जा रहा था। तो सब तालियां बजाने लगे तो शिवम कहता है की ओ जी यह क्या खेल है जी वह आपको पैसे देकर क्यों जा रहा है। ओ गोलगप्पे वाले के बेटे हो न ,इसे आप रेसलिंग कहते हैं। इसमें जो हाथ को निचे दबा दिया वही जीतता है। आओ एक दाव खेलो। मैं जीता तो एक हजार देना और तुम जीते तो दस हजार दूंगा ठीक है न। क्या मैं जीता तो दस हजार डोज मैं तैयार हूँ , ओ पैसे देख कर जी मेरी बहुत करेंगे। तभी एक महिला कहती है अरे शुभम मेरी बात मनो तो अपने रस्ते बेकार में अपने पैसे मत गवाओ। इसपे पहलवान गुस्सा हो जाता है और कहता है तुम कौन हो जब ये तैयार है खेलने के लिए आओ शिवम् तुम। ऐसे सामने बैठ कर एक दूसरे की हाथ पकड़ते हैं। अम्पायर के एक,दो,तीन कहते ही पहलवान तुरंत शिवम् की हाथो को दबा दिया और लोग तालियां मरने लगे। बेचारा शिवम् उसे एक हजार रूपये दे दिया। फिर पहलवान कहता है ,क्यों रे मुझे ही हरा कर पहलवान बनना चाहता है। तू क्या इस एरिया में कोई ऐसा पहलवान ही नहीं जो मुझे हरा सके। जाओ जाओ गधे कहींके ऐसे कहकर उसका अपमान है। बेचारा शिवम् वहां से चला गया। ये बात जानकार घर पर उसके माता पिता उसे खूब पिटे। ो इस अपमान को बरदास नहीं कर पाया और मन ही मन हारने की थान लिया। तुरंत वह जिम जाता है और वहां जिम कोच को सारी बात बताता है। लेकिन जिम कोच उसे ट्रेंड करने से मना कर देता है।
फिर वह घर आकर रखे चक्की को निकला और माँ से कहता है अब से कोई भी होगी तो मशीन की कोई जरुरत नहीं है अब से सरे चीज मैं पिसूंगा। फिर माँ ने उसे कुछ गेहूं पीसने को दिए। इसी तरह ओ हर दिन कुछ न कुछ रहता। लेकिन एक दिन उसकी मानने उसे पीसने के लिए कुछ नहीं दिया। यह देख शिवम् सोचता है मैं आज कुछ नहीं पिसा तो मेरा हाथ कमजोर हो जायेगा। ऐसा करता हूँ ,आज पत्थर को पिसता हूँ। ऐसा सोच कर वह पत्थर पीसना सुरु करता है ,लेकिन उसमे से हिरे निकलने लगे जिसे देख उसके माता पिता दांग रह जाते हैं। और बोलते हैं ये चाकी तो हमारे पुरखो की है और शायद ये जादुई है ,लेकिन हमने कभी इसका उपयोग किया ही नहीं। और अपने बेटे से कहता है को बाहर किसी से मत कहना। देखते ही देखते वह आमिर होता गया। नए कर बंगले और भी बहुत कुछ खरीद लिए। और लोगो की भी मदद करने लगे। गांव में स्कूल, होस्पिटस्ल , पानी टंकी दिए। और फिर एक दिन शिवम् पहलवान के पास जाता है। और उससे आम है। अम्पायर के गिनती गिनते ही पहलवान का हाथ झटके से पटक देता है। सभी लोग तालियां बजाने लगे। जिससे ये सच है या सपना। ये कैसे हरा दिया ? जिसपे शिवम् कहता है ,मैं रोजाना एक चीज घुमाता हूँ लेकिन नहीं बताऊंगा पिता जी ने बताने के लिए मना किया है। लेकिन एक दिन पहलवान शिवम् की खिड़की से देख रहा था जब वह चक्की चला रहा था जिसे देख पहलवान दंग रह है क्योंकि उसमे से हिरे निकल रहे थे। थोड़ी देर बाद पहलवान उसे चुरा लेता है। और अपने घर लेकर चला जाता है और बोलता है इससे तो मैं साडी दुनियां हूँ। और चक्की को घूमता है लेकिन उसमे से साप, बिच्छा कीड़े मकोड़े निकलते है। और चक्की वापस शिवम् के पास चला आता है।
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सीख –
इंसान को अपने – आप पर घमंड नहीं करना चाहिए। लालच करना अच्छा नहीं होता है ,इसलिए इंसांन को लालच नहीं करनी चाहिए।